शिक्षा बड़ी या ज्ञान ? ( केरल)


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                      " जाते जाते एक जानवर ने इंसानो को उनकी इंसानियत का आईना दिखा दिया "



प्राचीन कथाओ से हम सुनते आए है कि एक वक्त कलयुग का भी आएगा परंतु ऐसा जो इंसानियत को शर्मसार करदेगा  शायद ही किसी ने सोचा होगा !

‌आज हम कोरोना से लड़ रहे है और अम्फान तूफान से भी । एक बहुत बड़ा खतरा आज हमारे देश पर आया हुआ है जिससे देश का प्रत्येक नागरिक लड़ रहा है परंतु आज  सबसे बड़ा खतरा है इंसान  जो इंसानियत का दुष्मन बन चुका है.!

  मल्लापुरम में गर्भवती हथिनी को अनन्नास में बम लगाकर खिलाने वाले आज इंसान जाति पर भी सवाल करने को मजबूर कर रहे है । एक सवाल जो शायद देश के प्रत्येक नागरिक को पूछना चाहिए कि ऐसा कौनसा बम होता है जो हाथी जैसे शक्तिशाली जानवर के जबाड़े को भी फाड़ कर रख देता है? यह सवाल किसी मीडिया ने उठाया ना हो परंतु देश वासियों को जरूर उठाना चाहिए!  
आज एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुई है।



Kerala elephant death case| Kerala elephant death: Here's why a ...
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अब इससे यह प्रतीत हो चुका है कि मानवता खत्म हो चुकी है । जब मजदूरो के लिए मदद के हाथ खड़े हुए तो लगा मानवता लोगो मे वापस से उत्तपन्न होने लगी है  परंतु इस घटना ने फिर झंझोड़ कर रख दिया।  किसी भूखे को खाना खिलाना तो दूर उसकी निर्मम हत्या करदेना उनकी क्रूर मानसकिता का वर्णन करता है। यह पहली बार नही हुआ कि मानवता को शर्मसार किया गया है पालघर में साधुओ की निर्मम हत्या भी इसी का एक स्वरूप है परंतु चयनित खबरों के कारण वह ज्यादा लोगो तक पहुच नही पाई । हमारे समाज में पढ़े लिखे व्यक्ति को ज्यादा मान्यता दी जाती है परंतु सिर्फ़ पढ़ा लिखा होना आवश्यक नही , संस्कार और ज्ञान दोनों का होना जरूरी है अन्यथा केरल जैसी अमानवीय घटना हर दिन होगी.!


    
                                                               
                                      All you need to know about Sikkim's 100% literacy rate





जहा एक तरफ केरल में 93% लोग शिक्षित है जो इस बात का भी प्रमाण है कि सिर्फ शिक्षित होना आवयश्क नही है। इस शिक्षा से पीढ़ी डॉक्टर अधिकारी तो बन सकती है परंतु देश और उसकी संस्कृति को नही जान सकती । जब तक हमे नैतिक मूल्यों एवं संस्कृति नही पढ़ाई जाती , हम कभी मानवता  नही समझ सकते ।
हम आगे तो बढ़ रहे परंतु पर्यवरण और संस्कृति जैसी महत्वपूर्ण बातो को पीछे छोड़ते जा रहे है, जहा एक तरफ वह किसान जो शायद थोड़ा कम पढ़ लिखा हो लेकिन वह पक्षियों को  भी पानी पिलाता है जो जैविक संतुलन को बनाए रखती है परंतु हम उसकी महत्वकांशा को नही समझ रहे ।*हम सदियों से प्रकृति, वृक्षों और पशु - पक्षियों की पूजा करते आए है और पूजा उसकी की जाती है जो सबसे सर्वोच्च हो जिसके अभाव के कारण यह धरती पर जीवन संभव नही हो परंतु हम प्रगति विकास इन सब आडंबरों में इतना व्यस्त हो गए है कि हमे न तो इस पर्यावरण की फ़िक्र है ना ही इस पर्यावरण में रह रहे मनुष्यो की । शिक्षा कभी इन मानवता जैसे महत्वपूर्ण बातो का ज्ञान नही करा सकती जब तक उसके साथ संस्कार और स्वभाव का मेल जोल ना हो।





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आज एक माँ ने तो अपना कर्तव्य निभाया परंतु क्या इंसान ने निभाया?
अब जब निरंतर यही घटनाए होती रहेगी तो सरकार को कानूनी सहायता लेनी पड़ेगी ,सरकार कई सारे कानून बनाती है जिससे जानवरो की तस्करी आदि ना हो सके , बहुत बड़ा हिसा हर साल बजट का खास तोर पर सिर्फ जानवरो के संरक्षण के लिए लाया जाता है ।  इन क्रूर और निर्दयी लोगो की वज़ह से आज हमारा इतना पैसा सिर्फ़ इसलिए खर्च होता है और अगर यह लोग मानवता की राह पर चलने लगे तो उस पैसे का कितना सदुपयोग हो सकता है । कुछ व्यक्तियो की वजह से आज इतना बड़ा नुकसान देश को हो रहा है। इंसान नही सीख रहा है , वह आज भी जानते हुए भी अनजान बन रहा  है कि जब जब प्रकृति से छेड़छाड़ हुई है तब तब इंसान को उसकी भरपाई करनी पड़ी है । किसी बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा है कि हमे गलतियों से सीखना चाहिए । आज हम सब घरो में है , छोटी सी जगह सीमट के रह गए है , एक बीमारी ने पूरी दुनिया को कैद करदिया है परंतु इंसान सिर्फ अपने आप को इस बीमारी से बचाने के लिए घरो में है । वह आज भी नही सीख रहा कि यह आपदाए हमारे कर्मो से ही उत्पन हुई है और हम ही इनका एक मात्र कारण है.




Fat Man Eat Earth and Starving Kid Has None | Earth Meme on ME.ME
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आज सिर्फ हाथियों की हत्या पर दुख जताना पर्याप्त नही आज वास्तविकता को अपनाना भी जरूरी है
आज हम सब सच्चाई जानकर भी उसे पीछे भाग रहे है जिसका यह असर हो रहा है कि आज कोरोना हो या तूफान दोनों ने हमें एक जगह बांध कर रखने को मजबूर कर दिया है।
अगर आज भी हम नही सीख रहे है तो कारणवश हर साल 2020 जैसा ही होगा !





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